UP Bijli Bill Mafi : गरीब उपभोक्ताओं का आधे से अधिक बिजली का खर्च वहन करेगी सरकार एक यूनिट पर बीपीएल उपभोक्ता देंगे सिर्फ तीन रुपये, सरकार देगी 3.5 रुपये अनुदान घरेलू उपभोक्ताओं को महंगी बिजली से राहत देने को दिए गए 7,445 करोड़ रुपये किसानों को मुफ्त बिजली मुहैया कराने के लिए सरकार ने दिए
10,067 करोड रुपये
6.85 रुपये प्रति यूनिट के बजाय अब अधिकतम 6.50 रुपये प्रति यूनिट रुपये ही देने होंगे शहरी क्षेत्र के उपभोक्ताओं को 5.50 रुपये प्रति यूनिट ही अधिकतम देना होगा ग्रामीण क्षेत्र के उपभोक्ताओं को 3.65 करोड़ उपभोक्ताओं में से 3.21 करोड़ हैं घरेलू उपभोक्ता
151 से 300 यूनिट तक 85 पैसे व 300 यूनिट से अधिक पर 35 पैसे की सब्सिडी घरेलू उपभोक्ताओं को भी राहत देने के लिए सरकार ने 35 पैसे से 1.35 रुपये प्रति यूनिट तक सब्सिडी दी है। प्रतिमाह 150 यूनिट तक बिजली खर्च पर जहां 1.35 रुपये प्रति यूनिट सब्सिडी दी गई है
वहीं 151 से 300 यूनिट खर्च करने पर 85 पैसे और 300 यूनिट से ज्यादा बिजली खर्च पर 35 पैसे प्रति यूनिट सब्सिडी सरकार ने दी है। यही कारण है कि शहरी क्षेत्र के 99,44,736 घरेलू उपभोक्ताओं को 6.85 रुपये प्रति यूनिट के बजाय अधिकतम 6.50 रुपये, जबकि गांव के 52,51,755 उपभोक्ताओं को 5.50 रुपये प्रति यूनिट ही बिजली का बिल देना होगा।
क्या आप जानते हैं कि आप तक पहुंचने वाली बिजली की औसत आपूर्ति लागत 7.86 रुपये प्रति यूनिट है। यही बिजली गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले (बीपीएल) परिवारों को मात्र तीन रुपये प्रति यूनिट में मुहैया कराने के लिए राज्य सरकार ने 3.50 रुपये प्रति यूनिट अनुदान दिया है। इतना ही नहीं किसानों को सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली उपलब्ध कराने के लिए भी सरकार ने खजाने से 10,067 करोड़ रुपये की भारी- भरकम सब्सिडी दी है।
प्रदेश के 3,65,86,814 बिजली उपभोक्ताओं में 3,21,57,293 सिर्फ घरेलू उपभोक्ता ही हैं। दरअसल, कोयले आदि की बढ़ती कीमत से राज्य में बिजली आपूर्ति की औसत लागत इस समय 7.86 रुपये प्रति यूनिट है। वाणिज्यिक व उद्योगों आदि की बिजली दर बढ़ाकर क्रास सब्सिडी के जरिए विद्युत नियामक आयोग गरीबों, किसानों और कम खपत वाले घरेलू उपभोक्ताओं की बिजली दरें अपेक्षाकृत कम ही रखता है
लेकिन ऐसे में भी घरेलू उपभोक्ताओं की बिजली इस बार 6.85 रुपये प्रति यूनिट पड़ रही थी। इस पर सरकार ने 7,445 करोड़ रुपये की सब्सिडी देकर घरेलू उपभोक्ताओं की बिजली तीन रुपये से साढ़े छह रुपये प्रति यूनिट तक बनाए रखी है। गौर करने की बात यह है कि कुल घरेलू उपभोक्ताओं में से 1,69,99,611 शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के लाइफ लाइन उपभोक्ता (एक किलोवाट भार और प्रति माह 100 यूनिट से कम खर्च वाले कनेक्शन) हैं।
सरकार ने इन्हें मात्र तीन रुपये प्रति यूनिट में बिजली दिलाने के लिए 2,386 करोड़ रुपये (प्रति यूनिट 3.50 रुपये) पावर कारपोरेशन को दिए हैं। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है कि भले ही पांच वर्षों से प्रदेश में बिजली की दरों को नहीं बढ़ाया गया है लेकिन उपभोक्ताओं तक बिजली आपूर्ति का खर्चा साल-दर-साल बढ़ता जा रहा है।
राज्य सरकार ने 17,511.88 करोड़ रुपये सब्सिडी न दी होती तो घरेलू उपभोक्ताओं को 6.85 रुपये प्रति यूनिट बिजली का बिल देना पड़ता। वर्मा ने कहा कि उपभोक्ताओं के बिजली कंपनियों पर निकल रहे 35 हजार करोड़ रुपये के एवज में बिजली की दरें और कम हो सकती हैं।
क्षतिग्रस्त फसलों के नुकसान की भरपाई के लिए दिए 164 करोड़ रुपये
राज्य ब्यूरो, जागरण • लखनऊ: प्रदेश में बाढ़ की वजह से फसलों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए अब तक 163.151 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया है। प्रदेश सरकार ने बाढ़ से प्रभावित 34 जिलों के 3,12,866 किसानों को सहायता राशि दी है। सर्वाधिक मुआवजा लखीमपुर खीरी के किसानों को दिया गया है। यहां के 1.10 लाख से अधिक
किसानों को 70.88 करोड़ रुपये से अधिक मुआवजा दिया गया है। राहत आयुक्त भानु चंद्र गोस्वामी ने बताया कि बाढ़ग्रस्त इलाकों में सर्वे कराया गया। उन्होंने बताया कि नेपाल और पहाड़ी क्षेत्रों से छोड़े गए पानी से प्रदेश के 34 जिलों में 110989.26 हेक्टेयर क्षेत्र में फसल प्रभावित हुई थी। राहत आयुक्त ने बताया कि बाढ़ से 3,71,370 किसानों की फसल प्रभावित हुई।
3,12,866 किसानों को 163.151 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जा चुका है। लखीमपुर खीरी के 1, 10, 105 किसानों को 70.88 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है। ललितपुर के 54,462 किसानों को 21.9 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है। सिद्धार्थनगर में 29,261 किसानों को .15.41 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जा चुका है।