PM Manmohan Singh Death : नहीं रहे पूर्व पीएम मनमोहन सिंह 92 वर्ष की उम्र में एम्स में ली अंतिम सांस लंबे समय से थे बीमार

PM Manmohan Singh : डा. मनमोहन सिंह का जन्म : 6/सितंबर/1932, PM Manmohan Singh Death मृत्यु : 26/दिसंबर/2024, डा. मनमोहन सिंह भारत के 13 वें प्रधानमंत्री थे । वह एक अर्थशास्त्री भी थे। लोकसभा चुनाव 2009 में मिली जीत के बाद वह जवाहरलाल नेहरू के बाद भारत के पहले ऐसे प्रधानमंत्री बने, जिन्हें पांच वर्षों का कार्यकाल पूरा करने के बाद लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने का अवसर मिला था। उन्हें 22 जून 1991 से 16 मई 1996 तक पीवी नरसिंह राव के प्रधानमंत्रित्व काल में वित्त मंत्री के रूप में किए गए आर्थिक सुधारों के लिए भी श्रेय दिया जाता है। 1971 में डा. सिंह भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के तौर पर नियुक्त किए गए। इसके बाद 1972 में उन्हें वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार बनाया गया।

Dr. Manmohan Singh : कांग्रेस ने रद किए अपने सभी कार्यक्रम राहुल, और कांग्रेस अध्यक्ष खरगे लौटे दिल्ली, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा और कई कांग्रेसी नेता एम्स पहुंचे, आर्थिक सुधारों के प्रणेता थे मनमोहन सिंह भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व बाजार से जोड़ा

  • 5 बार बने राज्यसभा के सदस्य
  • 2बार लगातार पीएम रहे मनमोहन
  • 10 वर्ष तक लगातार पीएम रहने वाले दूसरे प्रधानमंत्री थे
  • 1991 में पहली बार राज्यसभा सदस्य बने नरसिंह राव सरकार में रहे वित्त मंत्री

 

देश के सबसे प्रतिष्ठित नेताओं में से एक डा. मनमोहन सिंह की मृत्यु की खबर से मैं व्यथित हूं। बहुत साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले मनमोहन सिंह ने अर्थशास्त्री के रूप में विश्व में ख्याति प्राप्त की। वह कई सरकार में वरिष्ठ पदों में रहे और फिर वित्त मंत्री के रूप में आर्थिक नीतियों को बदल दिया। मुझे उनसे संसद में संवाद करने का कई बार मौका मिला। उन्होंने बतौर प्रधानमंत्री जनकल्याण के लिए काम किया। मेरी संवेदना उनके परिवार, मित्रों और चाहने वालों के प्रति है। ऊं शांति ।

 

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देश में आर्थिक सुधारों के प्रणेता माने जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह का गुरुवार रात निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। तबीयत बिगड़ने के बाद उनको एम्स में भर्ती कराया गया था। 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री रहे 92 वर्षीय मनमोहन सिंह ने एम्स के आपातकालीन विभाग में अंतिम सांस ली। उनके परिवार में पत्नी गुरशरण कौर और तीन बेटियां हैं।

तबीयत खराब होने की सूचना पर कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा उन्हें देखने एम्स पहुंच गई थीं। राबर्ट वाड्रा भी उनके साथ मौजूद थे। खबर मिलते ही स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा और कई कांग्रेसी नेता भी एम्स पहुंच गए। कांग्रेस ने कर्नाटक के बेलगावी में शुक्रवार के अपने सभी कार्यक्रम रद कर दिए हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी दिल्ली पहुंच रहे हैं

मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर, 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत में हुआ था। विभाजन के बाद उनका परिवार भारत चला आया था। मनमोहन सिंह ने आर्थिक उदारीकरण के जरिये भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व बाजार से जोड़ दिया। पंजाब विश्वविद्यालय में शिक्षक के तौर पर उन्होंने अपना करियर शुरू किया। बाद में दिल्ली स्कूल आफ इकोनामिक्स में प्रोफेसर पद पर रहे। वह वित्त मंत्रालय में सचिव, योजना आयोग के उपाध्यक्ष और रिजर्व बैंक के गवर्नर भी रहे।

 

 

PM Manmohan Singh Death
PM Manmohan Singh Death

 

अर्थशास्त्री से राजनेता बने मनमोहन सिंह 1991 में असम से राज्यसभा के लिए चुने गए। नरसिंह राव ने जिस समय उन्हें वित्त मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी थी, उस समय वह संसद के किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे। 1991-96 तक नरसिंह राव सरकार में वित्त मंत्री रहते हुए उन्होंने तमाम आर्थिक सुधार किए और लालफीताशाही का अंत किया। मनमोहन लगातार पांच बार राज्यसभा सदस्य रहे।

राजीव गांधी के शासनकाल में मनमोहन को योजना आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था। इस पद पर वह पांच वर्ष तक रहे। पंजाब विश्वविद्यालय से उन्होंने स्नातक तथा स्नातकोत्तर स्तर की पढ़ाई पूरी की। बाद में वह कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय गए। जहा से उन्होंने पीएचडी की। इसके बाद उन्होंने आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डीफिल भी किया। उनकी पुस्तक इंडियाज एक्सपोर्ट ट्रेंड्स एंड प्रोस्पेक्ट्स फार सेल्फ सस्टेंड ग्रोथ भारत की व्यापार नीति की पहली और सटीक आलोचना मानी जाती है।

डा. सिंह ने अर्थशास्त्र के अध्यापक के तौर पर काफी ख्याति अर्जित की। वह पंजाब विश्वविद्यालय और बाद में प्रतिष्ठित दिल्ली स्कूल आफ इकनामिक्स में प्राध्यापक रहे। वह योजना आयोग के उपाध्यक्ष, रिजर्व बैंक के गवर्नर, प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष भी रहे। भारत के आर्थिक इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब वह 1991 से 1996 तक भारत के वित्त मंत्री रहे।

इसी बीच वह संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन सचिवालय में सलाहकार भी रहे और 1987 तथा 1990 में जेनेवा में साउथ कमीशन में सचिव भी रहे। 1985 में राजीव गांधी ने उन्हें योजना आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया था। 1990 में वह प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार बनाए गए। जब पीवी नरसिंहराव प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने मनमोहन को 1991 में मंत्रिमंडल में सम्मिलित करते हुए वित्त मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार सौंप दिया।

 

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