One Nation One Election Yojana : संसद के शीतकालीन सन में लाया जाएगा विधेयक संविधान में किया जाएगा संशोधन कुछ महीना में देश भर One Nation One Election में लागू करने के उपायों पर होगी चर्चा सत्ताधारी दल सहित 32 पारटया इसके पक्ष में 15 दल विपक्ष में कैबिनेट ने एक साथ चुनाव कराने संबंधित सिफारिश को स्वीकार किया है मैं इस प्रयास का नेतृत्व करने और विभिन्न हिटधारको से परामर्श करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी की सराहना करता हूं यह हमारे लोकतंत्र को और अधिक जीवंत व सहभागी बनने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है
यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वच्छ और वित्तीय रूप से कुशल चावन के माध्यम से देश के लोकतंत्र को मजबूत करने और संसाधनों के अधिक उत्पादक आवंटन के माध्यम से आर्थिक विकास को गति देने की मजबूत इच्छा शक्ति को दर्शाता है
एक समृद्ध लोकतंत्र के लिए राजनीतिक स्थिरता अत्यंत महत्वपूर्ण है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय कैबिनेट द्वारा एक देश एक चुनाव प्रस्ताव को दी गई स्वीकृति अभिनंदनीय है देश में राजनीतिक स्थिरता सतत विकास और समृद्ध लोकतंत्र के लिए यह निर्णय मिल का पत्थर सिद्ध होगा इस युगांतर कार्य निर्णय के लिए उत्तर प्रदेश की जनता की ओर से प्रधानमंत्री का हृदय से
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लोकसभा चुनाव के बाद उभर नए राजनीतिक समीकरणों के बीच एक देश एक चुनाव को लेकर खड़े हो रहे सवालों से फिलहाल पर्दा उठ गया है मोदी केबिनेट एक देश एक चुनाव पर बने रामनाथ कोविंद समिति की अनुशंसा को मंजूरी दे दी है साथ ही संकेत दिया है कि सुधार के अपने एजेंडे से सरकार पीछे हटने वाली नहीं है समिति ने यह सिफारिश इसी वर्ष मार्च में की थी माना जा रहा है कि संसद के शीतकालीन सन में इसे लेकर विधेयक पेश किया जाएगा और इसके लिए संविधान में संशोधन किया जाएगा
कैबिनेट के इस फैसले के बाद राजनीति भी गरमा गई है कांग्रेस आप सहित कई विपक्षी दलों ने जहां इसे सिरे से खारिज किया है वहीं भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने इसका स्वागत किया है खास बात यह है कि एक देश एक चुनाव को लेकर गठित गोविंद समिति ने इस पर सभी राजनीतिक दलों से राय ली थी इस दौरान 32 राजनीतिक दलों ने इसका समर्थन किया था और कहा था कि इसे जल्द लागू किया जाए जबकि कांग्रेस सहित करीब 15 राजनीतिक दल इसके विरोध में थे यही वजह थी कि समिति ने अधिकांश राजनीतिक दलों की राय मानते हुए एक देश एक चुनाव का समर्थन किया और देश के लिए इसे जरूरी भी बताया था
एक देश एक चुनाव को लेकर कैबिनेट में लिए हम फैसले की जानकारी देते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि देश में 1951 से 1967 तक लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ होते रहे हैं लेकिन इसके बाद विधानसभाओं के बीच में भंग होने से इनमें बदलाव आया मौजूदा समय में स्थित यह हो गई है कि हर समय देश के किसी न किसी हिस्से में चुनाव होते रहते हैं इसका असर देश के विकास पर पड़ता है उन्होंने बताया कि इसे लेकर 2015 में संसदीय समिति ने भी अपने सिफारिश की थी
प्रधानमंत्री मोदी भी पिछले कई वर्षों से अलग-अलग मंचों के जरिए एक देश एक चुनाव की बात मजबूरी से उठते रहे हैं एक सवाल के जवाब में वैष्णव ने बताया कि संसद में जल्द ही इसे लेकर विधेयक पेश किया जाएगा उन्होंने कहा कि कोविंद समिति की सिफारिश को आगे बढ़ाने के लिए एक क्रियान्यवयन समूह बनाया जाएगा और अगले कुछ महीनो के दौरान इसे लागू करने के उपायों पर देशभर में चर्चा की जाएगी इस दौरान सरकार इस आम समिति बनाने की दिशा में काम करेगी यह विषय ऐसा है
जो देश को मजबूत बनाएगा वे सब ने कहा कि विपक्षीय पार्टिया अब शायद अंदरूनी दबाव समूह करेगी क्योंकि समिति की परामर्श प्रक्रिया के दौरान 80% लोगों खासकर युवाओं ने इसका काफी समर्थन किया है फिलहाल तीन राज्य मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ राजस्थान और तेलंगाना के चुनाव लोकसभा चावन से 6 महीने पहले होते हैं जबकि महाराष्ट्र हरियाणा जम्मू कश्मीर झारखंड और दिल्ली के चुनाव लोकसभा चुनाव से 57 महीने बाद होते हैं बाकी राज्यों में एक से तीन वर्ष के अंतराल में चुनाव होते हैं